Wednesday, September 4, 2013

As You Sow So You Reap



वो दुनिया में जब आता हैं
खुशियाँ फैलाता हैं
उसके  आने से घर का मौसम बदल जाता है

हर बच्चा बोलता हैं ,चलना  सीखता हैं
वो ऊँगली पकड़ कर चलता हैं
वो डर कर माँ के आँचल में छिप  जाता हैं
वो कभी परछाई  कभी प्रतिबिम्ब बन जाता हैं


वो सीखता है जो हम उसे सिखातें हैं
पर वो ज्यादा सिखाता हैं जो उसे दिखता हैं
हम वो पाते हैं  जो हम बोते हैं
फिर इतने हैरान क्यों हैं

वो कहता नहीं पर समझता हैं
वो संवेदनशील हैं  बहुत
हमसे भी ज्यादा महसूस करता हैं

कई बार उसकी आंखें  देखती रहती हैं
सुनता हैं वो हर बात जो हम भी नहीं सुन पाते है
हर कही अनकही बात समझता हैं

कई बार वो अपनी बातों से चौंका देता हैं
पर वो वही बोलता हैं जो उसने सीखा हैं

वो मासूम तो ये भी नहीं जानता
कि उसने वही बोला जो सीखा हैं
भोला हैं बहुत, हैरान हो जाता हैं
वो उलझा हैं दों मुइ बातों में

कुछ दिन में वो ये भी सीख जायेगा
उस दिन उसका बचपन खो जायेगा
वो छोटा हैं बहुत पर बड़ी बड़ी बातें बोलता हैं
वो एहसास दिलाता हैं कहाँ हम सही है कहाँ  हैं गलत

वो सीखता है सिखाता भी  हैं
अपने साथ हमें भी बड़ा बनता हैं
उसकी छोटी छोटी बातें दिल में उतर जाती हैं
उसके भोले सवाल बहुत कुछ कह जातें हैं

झूठ बोलने से रोकते हैं उसे
अगले दिन खुद ही बोलने को कहते हैं
वो उलझा हैं इस उधेड़ बुन में
क्या सही हैं क्या गलत

वो भोला हैं बहुत
समझता नहीं
ज़िन्दगी सरल हैं
पर इसे उलझाते हम हैं
वो पूछता हैं हैं क्या सही हैं क्या गलत
कई बार उसके असां सवाल मुश्किल बन जाते है

उसकी हर बात सच्ची हैं
मिलावट नहीं हैं ज़रा सी
वो जो बोलता हैं
जो उसके मन में हैं
कितना प्यारा हैं वो

उसमे भगवान  दिखता हैं
उसकी आँखों की चमक
उसकी मीठी मुस्कान
घर को मंदिर बना देती हैं

बहुत सीखना हैं अभी
उसके साथ उसके सवालों के साथ
उसके साथ चलना हैं
वो नन्हे  कदम
सही राह पर ले जायेंगे
चलना हमने सिखाया
पर राह वही दिखायेंगे


उन्हें देखो समझो उन्हें
जानो उन्हें
प्यार से सीचों उन्हें
फिर देखना ये छाव  फैलायेंगे
खिलेंगे  महकेंगे आँगन में
बस थोडा प्यार और वक़्त मांगते हैं
सीचों  उन्हें प्यार से











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